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मैं तुम्हें भूलना चाहता हूँ

हाँ , मैं तुम्हें भूलना चाहता हूँ तुम्हारी स्मृतियों को झटक देना चाहता हूँ बिना बताये तुम्हें अब तुम्हें मेरी परवाह कहां लेकिन मैं तुम्हें ही याद कर जिन्दा हूँ तुम्हें याद न करूँ तो साँस लेना मुश्किल हो जाये और इन सब बातों का तुम्हे इल्म कहां मैं नहीं जानता मुझे चाहने और अपने प्रेम पाश में बांधने के पीछे   तुम्हारा कौन सा स्वार्थ था लेकिन उस प्रेम की ज्योत का क्या जो तूमने मुझे सिखाया क्या तुमने सिर्फ मेरे सीने में प्रेम जगाया था और खुद को दुनियादारी के परदे में छुपा लिया जैसे तुम्हे प्रेम की जरुरत ही न हो देखो मेरे अंदर अब बहुत कुछ धधक रहा है जो लावा बनकर फूटने को है मैं तुम्हारे प्रेम के बिना मर रहा हूँ तुम्हारी बातों के सिवा संगीत कहीं नहीं है तुम्हारा पल्लू ही शीतलता दे सकता है मुझे तुम्हारे नरम स्पर्श ही जगा सकते है मुझे ये सब तुम्हे पता है और मुझे महसूस हो रहा है कि तुम्हारे अंदर मेरे लिए प्रेम बचा ही नहीं है मैं उजाड़ रेगिस्तान में शीतल जल ढूंढ़ रहा हूँ मैं प्यासा   तन्हा   व्याकुल हूँ थक चूका हूँ तुम्हारे प्रेम को पाने क

तुम रात भर जागते क्यों रहे..?

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वो पल अप्रतिम थे रात के घने कोहरे में जब तुमने मुझे कलेजे से चिपटाया था इसी पल हृदय में जमी बर्फ पिघली और मैंने तुम्हारे हाथों को चूम लिया एक बार दो बार पूरे तीन बार ..….. तुमने मुझे दाब लिया कलेजे में वो सबसे ज्यादा गर्माहट भरे पल थे मेरे जीवन का लेकिन... मेरी प्यास अधूरी थी आँखों से नींद गायब थी हृदय प्यासा था तुम्हारे सीने से लगने को ..... मैं तरसता रह गया प्यासा खुली आँखों से अँधेरे में चिराग ढूंढ़ता रहा करवट बदलता रहा ......... हजारों घड़ियाँ बीतने के बाद तुम्हारा चेहरा मेरे सामने था और मैं अविकल तुम्हारे माथे को चूम बैठा फिर दोनों पलकों पर अपने होंठ रख दिए एक प्यासे के लिए प्रिय के प्रति प्यार जताने का ये अनमोल जरिया है किसी ने कहा है माथे को चूमना आत्मा को चूमने जैसा है तुम्हारे माथे को चूमकर मैंने अपने रिश्ते को आत्मा से जोड़ दिया है और उसी क्षण जब तुमने कहा... पागल... मैं भावविभोर हो बैठा आधी रात को न अच्छा लगा , बुरा न लगा फिर भी गर्माहट से भरा सुख मिला और मैं पूरी रात जागता

मेरे सीने में लगी आग तुम्हारे सीने में भी धधके

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Fire in Heart_Google दिन भर तुम्हारे बारे में सोचता हूँ।   आधी आधी रात तक जागता हूँ।   जब तुम थी तब भी और जब नहीं हो तब भी जब थी , तो तुम्हारे सीने से लगने के लिए जागता था और जब नहीं हो तब   तुम्हारे बदन की गंध को महसूस कर जागता हूँ कभी रजाई में ढूँढ़ता हूँ कभी उस तकिये में , जिस पर तुम सिर रखके सोई थी तुम्हे बताऊं   मेरे सीने में एक आग लगी है। जब आखिरी बार तुमने कलेजे से लगाया था। तभी से चाहता हूँ आठों पहर तुम्हें सीने से लगाए रहूँ।   प्यार करूँ और तुम्हारी पलकों को चूम लूँ। तुम्हारे हाथों के नर्म स्पर्श में पिघल जाऊँ और अपनी द्रव्यता से तुम्हें भिगो दूँ तुम्हारी अतल गहराइयों में उतर जाऊं हमेशा के लिए   द्रव्य बनकर ताकि मेरे सीने में लगी आग तुम्हारे सीने में भी धधके आहिस्ता आहिस्ता ज़माने की बुरी नजरों से बचके