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हिंदी पखवाडा

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लो भाइयो,आ गया हिंदी पखवाडा (1sep से 15sep ) तक ,लेकिन समझ में नहीं आता क़ि जब सारे उच्च वर्ग के लोग अंग्रेजियत के पल्लू से चिपके हों तो कितनी प्रासंगिकता रह जाती है इन आयोजनों की,क्या आप मुझे बतायेगे की ये पखवाड़ा हिंदी को श्रदांजलि देने लिए आयोजित किया  जाता  है या जन्म दिवस मनाने के लिए... इस समय  अगर आप दिल्ली के किसी इलाके  में सरकारी कार्यालयों के बगल से गुजरते होगे तो इस पखवाड़े को मनाने के लिए सरकारी अनुरोध लटका हुआ दिख जायेगा .पता नहीं कितने लोग इसका पालन करते होंगे,लेकिन एक बात तो तय है की हममें  से हर कोई अपनी मातृभाषा को उसका सम्मान  देने में असमर्थ है, चाहे वो इस देश का पीएम हों या प्रेसिडेंट , इस देश के नेतागण जब भी किसी को संबोधित करते है तो अधिकतर अंग्रेजी में ही करते है मानो उन्हें हिंदी आती नहीं या देश की जनता समझती नहीं, इस  देश में एक  वर्ग ऐसा भी हैं जो सार्वजनिक स्थानों पर गिटिर- पिटिर अंग्रेजी बोलकर खुद को एन आर आई साबित करता है और हिंदी बोलने वालों को इस नज़र से देखता है मानो वो नाली का कीड़ा हों....... शर्म आनी चाहिए उन लोगो को जो पूरे साल अंग्रेजियत झाड़ते