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चाहता हूं गंगा, यमुना, नर्मदा, ब्रह्मपुत्र सहित तमाम नदियां अपनी जमीनों पर कब्जा कर लें

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Courtesy_Social Media 2009 में दूसरी बार दिल्ली आने पर यमुना से अपने साक्षात्कार के समय मैं मोटरसाइकिल की सीट पर बैठा था। पिछली सीट पर बैठे मैं अपने परिचित से पूछता यमुना कितनी दूर है। यमुना ब्रिज क्रास करते ही मेरे मुंह से निकला.. यही हैं यमुना जी.. उन्होंने तुरंत कहा.. बेवकूफ ये यमुना नहीं नाला है.. देख लिया.. बड़ा उछल रहा था। उनके बातों और लहजे का मुझ पर कोई असर नहीं हुआ.. लेकिन यमुना की हालत देख दिल बैठ गया। और तब से जब तक मैं दिल्ली में रहा..मैं हर बार जब भी यमुना ब्रिज पार करता हूं.. हर बार यहीं सोचता हूं कि काश, कभी इतनी बाढ़ आए यमुना में कि सोफिस्टिकेटेड लुटियंस की दिल्ली डूब जाए.. यमुना अपनी जमीनों  पर वापिस कब्जा कर लें। मैं जब भी लुटियंस की दिल्ली से गुजरता हूं। ऊंचे ऊंचे मॉल और इमारतों को देखकर (जहां आम नागरिक घुसने से पहले एक बार सोचता है) मन में ख्याल आता है कि काश कभी दिल्ली में इतना तेज भूकंप आए कि ये कथित विकास की पैरोकार इमारतें धूल धूसरित हो जाएं। झुग्गियों और पिछड़े इलाकों में रहने वाले लोग इन जगहों पर अपने कब्जे जमा लें लेकिन ये संभव ही नहीं है। फिर देखता