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बुक रिव्यू: मुर्गीखाने में रुदन को ढांपने खातिर गीत गाती कठपुतलियां

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Courtesy_Vani prakashan मुकुटधारी चूहा.. वाणी प्रकाशन से प्रकाशित राकेश तिवारी का कहानी संग्रह है. सात कहानियों के इस संग्रह में कुछ बेहद रोचक कहानियां है. इन कहानियों के अनेक रूप है जो कड़े सवाल करती है. 'अंधेरी दुनिया के उजले कमरे में' रहने वाले 'मुकुटधारी चूहों' की हकीकत बयां करती ये कहानियां बताती है कि 'मुर्गीखाने' में नाचती 'कठपुतली' भी आखिर में थक जाती है. अपराधबोध जब हावी होता है, तो एक किशोर भी 'साइलेंट मोड' में चला जाता है. किताब में कहीं भी राकेश तिवारी के बारे में जानकारी नहीं दी गई है. लेकिन इन कहानियों को पढ़ते हुए लगता है कि ये उत्तर भारत से ताल्लुक रखती है और यहां बसे समाज की खिड़कियों पर चढ़ी काली फिल्में नोंच डालती है ताकि सड़ांध का पता सबको लग सके और फड़कती मूंछों का कोलतार उतर सके. तिवारी के इस संकलन की वैसे तो सभी कहानियों रोचक और पढ़ने लायक है लेकिन 'मुकुटधारी चूहा' और 'मुर्गीखाने की औरतें' जरूर पढ़ी जानी चाहिए. सभी कहानियों में तो नहीं लेकिन कुछ में आंचलिकता का पुट है, लेकिन दर्शन सबमें उपस्थित है.